Saturday, June 12, 2010

"सोचा न था"

कभी सोचा ना था, मेरी मंजिल के इतने रास्ते होंगे !
मगर उन राहों पर ना चलने के कुछ वास्ते होंगे !!
सुना था अपनों की अपनों से बे - वफाई को मैंने !
मगर सोचा न था के, इतने भयानक हादसे होंगे !!
मिला था जीने का मकसद तेरे आने से जीवन को !
मगर सोचा न था, हम बर्बाद तेरे ही हाथ से होंगे !!
कैसी यह तड़प है ? आज ना तू पूछ "रोहित" से !
तेरे ही दर्द हैं यह,ठीक भी तेरी याद से होंगे !!

1 comment:

  1. I really dont knw how one can write so much is few words!

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