Friday, June 18, 2010

किसकी तलाश में !!!!

मिलता हूँ रोज़ खुद से मै बस आइने में, फिर गुज़रती है ज़िन्दगी खुद की ही तलाश में
कभी दूसरों की ख़ुशी में कभी अपनी की आस में,बस गुज़रती है ज़िन्दगी हर वक़्त तलाश में
सुना था रब है बस्ता इसी जहाँ में हर जगह,पर देखा जिसे भी मैंने वो था कुछ और ही तलाश में
गज़ब है यह दुनिया मैंने तो पाया यही,देखा खुदा को खुद यहाँ बन्दों की तलाश में
कोई डूबा था गरूर की दुनिया में,कोई डूबा था दौलत के नशे में
कहाँ से मिलता प्यार यहाँ,मै क्यों था प्यार की तलाश में
ख्वाहिशों को ज़ब्त कर जीवन बसर किया,"रोहित" इतना सफ़र किया फ़क़त दो गज कफ़न की तलाश में

1 comment:

  1. har jagah har taraf beshumar adami, phir bhi tanhaiyon ka shikar adami.rightly said rohit!

    ReplyDelete