हर एक रंग में काटेंगे हम, सज़ा ही सही !
यह ज़िन्दगी किसी की बद - दुआ ही सही !
सवाल यह है की दारो - रसन (फांसी) का क्या होगा !
नहीं है इस से गर्ज़ के कोई बे-खता ही सही !
ना इस को भूल के मैंने तुझे किया तखलीक (पैदा) !
यह और बात है तू आज वक़्त का खुदा ही सही !
यही बहुत है के मुझ पर तेरी नज़र है !
तेरी निगाह का अंदाज़ दूसरा ही सही !
वो मेरी रूह में शरीक हो चुका है आज !
अगर वो मुझसे जुदा है तो चलो जुदा ही सही !!