Tuesday, October 29, 2013

हमसफ़र

मेरा सफ़र ही मेरी मंज़िल थी
तू हमसफ़र जो हुआ , तो सब मिल गया मुझे

तुझे पाने की खातिर ही बिखरता रहूँगा हर जनम
अब बता और क्या दुआ दूं तुझे 

Sunday, January 20, 2013

Manzil

मज़िल और कारवां

मै अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल
लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया