Guzra Waqt
Friday, August 6, 2010
"राज़"
वो रात फिर आने वाली है,
जिस रात से जी घबराता है !
सूरज से तसलली थी दिल को,
वो भी तो डूबा जाता है !
यह बात मई उनसे पूछऊँगा,
क्या राज़ है मेरे सीने में ?
चुप रहने से जान निकलती है,
इज़हार से जी घबराता है !!
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