Thursday, June 10, 2010

"विकास सिंगला"

यह क्या खबर थी के मुकदर बिग्र्ड़ने वाला है
आँगन किसी के प्यार महौबत का उजड़ने वाला है
अटूट रिश्ते भी टूटे है आइय्नो की तरह
ज़मी पर कहर वफाओं का पड़ने  वाला है
किसे खबर थी के जो हस के मिला है बहुत
कुछ ही दिनों में वो हम से बिछड़ने वाला है
यह दुनिया काफीला है आने जाने वालो का
इक तेरी मौत से एय - रोहित, किसे फरक पड़ने वाला है
महक ले लो इस खिल खिलाते फूल की तुम
यह गुल भी शाम को डाली से झड़ने वाला है

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