मै तो फान्सलों की जानिब मंजिलों से दूर था,
तू तो पास था, ना जाने फिर क्यों मजबूर था ?
और भी दूर ना हो जाऊं तुझसे इसी लिए,
तेरे करीब आने का इज़हार दिल में ही रहा,
आज मालूम हुआ के,कुछ तो तेरे दिल में भी ज़रूर था !!!
यह फिकर, यह आँखों में चाहत ना होती,
तू मुझे देख कर इस कदर ना रोती
यूं अश्को से बयां ना होता प्यार,
इसको प्यार की जीत समझूं या ज़िन्दगी की हार,
कुछ तो मेरे प्यार में सरूर था,
आज दिखा के कुछ तो तेरे दिल में ज़रूर था !!!
तेरा हर वक़्त दोस्तों से घिरे रहना,
यह देख कर मेरे दिल का जलते रहना,
वो अदाएं इश्क की, गर्दिश की थी,
जान तो हर वक़्त मुश्किल में थी,
मै मसरूफ था अपने अकेलेपन में,
और तुझे अपनी महफिलों का गरूर था,
फिर भी कुछ तो तेरे दिल में ज़रूर था !!!
u asked wht my comment meant when i said my feelings....
ReplyDeleteaapni marzi se kahan apney safar ke hum hain, rukh hawaon ka jidhar ka hai udhar ke hum hain...