Wednesday, July 14, 2010

"प्रिया, साथ चलते है !"

नित नए रंगों में ढलते हैं !
नित नए रूप वो बदलते हैं !
ऐसी दुनिया में रह के क्या लेना !
ऐसी दुनिया से हम तो चलते हैं !
उसने मुझको चुना जफा के लिए !
लोग इस बात पे भी जलते हैं !
बात इतनी सी हम नहीं समझे !
के आस्तीनों में सांप पलते हैं !
मेरी आँखों में झांक कर देखो !
आंसूँओ के चिराग जलते हैं !
तुम आई "प्रिया", तो कुछ आराम मिला !
चलिए कुछ दूर साथ चलते हैं !!

No comments:

Post a Comment